1. मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स क्या है और ये कैसे काम करते हैं?
इस सेक्शन में हम जानेंगे कि मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स (जिसे SAN या UCC सर्टिफिकेट भी कहा जाता है) असल में क्या होते हैं और वे भारतीय एजेंसीज़ और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए क्यों जरूरी हैं।
मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स की बेसिक जानकारी
मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट एक ऐसा डिजिटल सर्टिफिकेट है जो एक ही सर्टिफिकेट के जरिए कई डोमेन्स, सब-डोमेन्स और वेबसाइट्स को सिक्योर कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी कंपनी या सरकारी एजेंसी के पास multiple वेबसाइट्स हैं जैसे:
- www.example.in
- payment.example.in
- services.example.co.in
- support.example.org
तो आप इन सभी को एक ही मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट से कवर कर सकते हैं। इससे हर डोमेन के लिए अलग-अलग SSL खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती।
ये कैसे काम करता है?
जब कोई यूजर ब्राउज़र में आपकी साइट खोलता है, तो मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट उस वेबसाइट की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह डेटा एनक्रिप्शन, ऑथेंटिकेशन और ट्रस्ट बढ़ाने का काम करता है। SAN (Subject Alternative Name) फील्ड में जितने भी डोमेन्स ऐड किए गए हैं, वे सभी इस एक सर्टिफिकेट द्वारा प्रोटेक्टेड रहते हैं।
तकनीकी प्रक्रिया:
- सर्वर पर मल्टीडोमेन SSL इंस्टॉल होता है।
- यूजर कनेक्ट करता है तो सर्वर अपने पास मौजूद सभी डोमेन्स के लिए वेरिफाइड सिक्योरिटी दिखाता है।
- SSL/HTTPS लॉक आइकन हर जुड़े हुए डोमेन पर दिखता है।
भारत में इसका महत्त्व क्यों?
भारतीय सरकारी एजेंसीज़, स्टार्टअप्स, एजुकेशन प्लेटफॉर्म्स या बड़े IT प्रोजेक्ट्स में अक्सर बहुत सारे डोमेन्स और सब-डोमेन्स होते हैं। मल्टीडोमेन SSL आपके ऑपरेशन को आसान, सुरक्षित और बजट-फ्रेंडली बनाता है। खासकर जब आपको Digital India, Smart City Mission, या e-Governance जैसे बड़े मिशनों के लिए कई वेब पोर्टल चलाने होते हैं।
नीचे एक सिंपल टेबल में इसकी प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं:
फीचर | विवरण (भारतीय संदर्भ) |
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कवर करने योग्य डोमेन्स की संख्या | एक सर्टिफिकेट से 100+ डोमेन्स/सब-डोमेन्स कवर हो सकते हैं* |
कॉस्ट एफिशिएंसी | हर डोमेन के लिए अलग-अलग SSL लेने की तुलना में काफी कम खर्चा आता है |
इंस्टॉलेशन आसान | एक बार इंस्टॉल करने के बाद सभी डोमेन्स अपने आप सुरक्षित हो जाते हैं |
मेंटेनेंस | रिन्युअल और मैनेजमेंट काफी सिंपल, जिससे IT टीम का समय बचता है |
भारत सरकार की पॉलिसी संगतता | CERT-In गाइडलाइंस और सरकारी सिक्योरिटी नीतियों के अनुरूप इस्तेमाल किया जा सकता है |
*अलग-अलग प्रमाणपत्र प्रदाता (CA) अनुसार यह संख्या बदल सकती है।
इस तरह, मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट भारतीय डिजिटल प्रोजेक्ट्स व एजेंसीज़ के लिए एक स्मार्ट, तेज़ और भरोसेमंद समाधान साबित होता है।
2. भारतीय कंपनियों और डिजिटल एजेंसीज़ के लिए क्यों ज़रूरी है मल्टीडोमेन SSL?
भारत में डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन बिज़नेस और स्टार्टअप्स की तेजी से बढ़ती दुनिया में वेबसाइट सिक्योरिटी और डेटा प्रोटेक्शन सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गई है। खासकर उन कंपनियों और एजेंसीज़ के लिए जो एक साथ कई डोमेन या सब-डोमेन मैनेज करती हैं, उनके लिए मल्टीडोमेन SSL (SAN/UC SSL) सर्टिफिकेट्स बहुत उपयोगी साबित होते हैं।
भारतीय इंडस्ट्रीज़ में मल्टीडोमेन SSL की ज़रूरत
नीचे टेबल में देखें कि किन-किन इंडस्ट्रीज़ और बिजनेस मॉडल्स के लिए भारत में मल्टीडोमेन SSL अनिवार्य हो जाता है:
इंडस्ट्री/सेक्टर | क्यों ज़रूरी है मल्टीडोमेन SSL? |
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आईटी सर्विसेज और डिजिटल एजेंसीज़ | क्लाइंट्स के कई वेब प्रोजेक्ट्स, टेस्टिंग/प्रोडक्शन एनवायरनमेंट्स के लिए एक साथ सिक्योरिटी देना |
ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स | मुख्य साइट, पेमेंट गेटवे, सपोर्ट पोर्टल्स – सबको एक ही SSL सर्टिफिकेट से कवर करना |
एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स | अलग-अलग ब्रांच/कोर्स/सर्विसेज के लिए एक यूनिफाइड सिक्योरिटी लेयर रखना |
हेल्थकेयर और हॉस्पिटल्स | पेशेंट पोर्टल, डॉक्टर पोर्टल, अपॉइंटमेंट सिस्टम्स आदि को साथ कवर करना |
बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर | इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, FAQ पेजेस आदि सभी को सिक्योर करना |
भारतीय डिजिटल एजेंसीज़ की चुनौतियाँ और मल्टीडोमेन SSL का समाधान
1. लागत की बचत: हर डोमेन के लिए अलग-अलग सर्टिफिकेट लेने की बजाय मल्टीडोमेन SSL से समय और पैसे दोनों बचते हैं।
2. आसान मैनेजमेंट: सिर्फ एक सर्टिफिकेट से कई वेबसाइट या एप्लिकेशन को संभालना आसान होता है।
3. तेज़ इम्प्लीमेंटेशन: नए प्रोजेक्ट या क्लाइंट डोमेन एड करने पर फौरन सिक्योरिटी लागू की जा सकती है।
4. ट्रस्ट और क्रेडिबिलिटी: भारतीय यूज़र्स अब HTTPS देखकर ही वेबसाइट्स पर भरोसा करते हैं। एक साथ कई डोमेन्स को सिक्योर करना जरूरी है।
5. सरकारी रेगुलेशन: भारत में डेटा प्रोटेक्शन बिल और IT नियमों के चलते अब सभी संवेदनशील वेबसाइटों पर SSL अनिवार्य हो गया है। मल्टीडोमेन SSL से यह आसानी से पूरा किया जा सकता है।
एक नज़र: कब चुनें मल्टीडोमेन SSL?
स्थिति | MULTIDOMAIN SSL उपयुक्त? |
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आपकी कंपनी या एजेंसी के पास 2+ डोमेन्स या सब-डोमेन्स हैं? | हाँ, MultiDomain SSL से सभी कवर होंगे। |
हर प्रोजेक्ट/क्लाइंट के लिए अलग-अलग सर्टिफिकेट खरीदना पड़ रहा है? | MULTIDOMAIN SSL से खर्च कम होगा। |
एक ही टीम द्वारा सभी डोमेन्स का मेन्टेनेन्स किया जाता है? | MULTIDOMAIN मैनेजमेंट सबसे आसान रहेगा। |
SSL रिन्यूअल भूल जाने का रिस्क रहता है? | MULTIDOMAIN में सिर्फ एक रिन्यूअल याद रखना होगा। |
भारतीय बिज़नेस और एजेंसीज़ के लिए टेक एडवाइस:
अगर आपकी कंपनी या डिजिटल एजेंसी ग्राहकों की वेबसाइट्स, सब-डोमेन्स या खुद के कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स चलाती है तो मल्टीडोमेन SSL आपके ऑपरेशन को सुरक्षित रखने का आधुनिक तरीका है। इससे डेटा चोरी, मिडलमैन अटैक जैसी समस्याओं का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। भारत में तेजी से बढ़ते डिजिटल परिदृश्य में यह निवेश आपके ब्रांड को भी सुरक्षित बनाता है।
3. प्रमुख भारतीय होस्टिंग और SSL प्रदाताओं की तुलना
जब आप मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स का चुनाव कर रहे हैं, तो भारत में उपलब्ध विभिन्न होस्टिंग और SSL प्रदाताओं को जानना जरूरी है। यहां हम देश के टॉप विक्रेताओं की सेवाओं, कीमतों और सपोर्ट की तुलना करेंगे ताकि एजेंसीज़ और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए सही निर्णय लिया जा सके।
प्रमुख भारतीय SSL प्रदाताओं की सूची
प्रदाता | मुख्य विशेषताएँ | कीमत (औसतन) | कस्टमर सपोर्ट | अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन |
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BigRock | मल्टीडोमेन सपोर्ट, आसान सेटअप, हिंदी सपोर्ट | ₹2,500/वर्ष से शुरू | 24×7 फोन/चैट | हां |
GoDaddy India | विश्वसनीयता, एडवांस्ड सिक्योरिटी फीचर्स, लोकल पेमेंट ऑप्शन | ₹3,000/वर्ष से शुरू | 24×7 हिंदी-इंग्लिश सपोर्ट | हां |
Namecheap India Partner | यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस, किफायती दरें, फ्री साइट सील | ₹1,800/वर्ष से शुरू | ईमेल/टिकट सिस्टम | हां |
ZNetLive | कॉर्पोरेट सॉल्यूशंस, तेज इशूएंस प्रोसेस, पर्सनल अकाउंट मैनेजर | ₹2,200/वर्ष से शुरू | फोन/ईमेल सपोर्ट (हिंदी उपलब्ध) | हां |
Mozilor Technologies (SSLStore.in) | मल्टी-ब्रांड विकल्प, डिस्काउंटेड रेट्स, विस्तृत गाइडेंस | ₹2,000/वर्ष से शुरू | फोन/ईमेल सपोर्ट (स्थानीय भाषाएं) | हां |
महत्वपूर्ण तुलना बिंदु
कीमत और वैल्यू फॉर मनी:
Namecheap India Partner और Mozilor Technologies सबसे किफायती विकल्प देते हैं जबकि GoDaddy India थोड़ा महंगा है लेकिन एडवांस्ड सिक्योरिटी फीचर्स के साथ आता है।
लोकल भाषा एवं ग्राहक सहायता:
ZNetLive और BigRock हिंदी में सपोर्ट देने के लिए जाने जाते हैं। इससे आपके तकनीकी सवालों का हल जल्दी मिलता है।
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स:
सभी प्रमुख प्रदाता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सर्टिफिकेट्स प्रदान करते हैं, जिससे आपकी वेबसाइट ग्लोबल लेवल पर भी सुरक्षित रहती है।
आपको कौन सा चुनना चाहिए?
– अगर आपकी प्राथमिकता बजट है तो Namecheap या Mozilor बेहतर हैं।
– अगर आपको हिंदी में 24×7 समर्थन चाहिए तो ZNetLive या BigRock अच्छा रहेगा।
– इंटरप्राइज या कॉर्पोरेट प्रोजेक्ट्स के लिए GoDaddy या ZNetLive उपयुक्त रहेंगे क्योंकि इनका इशूएंस प्रोसेस तेज और सपोर्ट मजबूत है।
हर एजेंसी और बड़े प्रोजेक्ट की जरूरतें अलग होती हैं, इसलिए ऊपर दिए गए तुलनात्मक बिंदुओं को ध्यान में रखकर अपने लिए सही SSL प्रदाता चुनें। ये जानकारी आपके मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट चयन को आसान बनाएगी।
4. सही मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट कैसे चुनें: लोकल ज़रूरतों के अनुरूप टिप्स
मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट चुनना भारतीय एजेंसीज़ और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न सिर्फ सुरक्षा देता है, बल्कि आपके अलग-अलग डोमेन्स की जरूरतों को भी पूरा करता है। यहाँ पर उन मापदंडों पर चर्चा की जाएगी जो भारतीय व्यवसायों और सरकारी एजेंसीज़ को मल्टीडोमेन SSL चुनने में मदद करेंगे।
मुख्य मापदंड जो ध्यान में रखने चाहिए
मापदंड | व्याख्या |
---|---|
सर्टिफिकेट की वैधता (Validity Period) | भारत सरकार के गाइडलाइंस और IT एक्ट के अनुसार, दो साल तक की वैधता वाले SSL सर्टिफिकेट लेना बेहतर रहता है। इससे बार-बार रिन्यूअल की समस्या नहीं होती। |
स्थानीय सपोर्ट (Local Support) | ऐसी कंपनी से खरीदें जो भारत में 24×7 हिंदी या अन्य स्थानीय भाषा में कस्टमर सपोर्ट देती हो। इससे किसी भी दिक्कत का समाधान जल्दी मिलता है। |
सरकारी मंजूरी (Govt. Approval/Compliance) | चेक करें कि आपका SSL सर्टिफिकेट भारतीय सरकारी मानकों जैसे CCA India से अप्रूव्ड हो या नहीं, खासतौर पर अगर आप सरकारी संस्था हैं। |
प्राइसिंग और पेमेंट ऑप्शन | भारतीय रुपये में कीमत और UPI, नेट बैंकिंग जैसे लोकल पेमेंट विकल्प उपलब्ध हों ताकि पेमेंट आसान रहे। |
डोमेन कवर करने की क्षमता | कितने डोमेन्स/सबडोमेन्स एक साथ कवर होते हैं? आमतौर पर 5-100 डोमेन्स वाले प्लान्स बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए उपयुक्त रहते हैं। |
भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए ख़ास टिप्स
- अगर आपकी वेबसाइट सरकारी प्रोजेक्ट या डिजिटल इंडिया पहल से जुड़ी है, तो हमेशा OV (Organization Validation) या EV (Extended Validation) मल्टीडोमेन SSL का चयन करें। ये ज्यादा भरोसेमंद होते हैं।
- ग्राहक डेटा सिक्योरिटी के लिए ऐसे सर्टिफिकेट चुनें जिनमें SHA-256 एन्क्रिप्शन हो और मजबूत PKI इंफ्रास्ट्रक्चर मिले।
- यदि आपकी एजेंसी कई भाषाओं में काम करती है, तो सर्टिफिकेट देने वाली कंपनी का UI/पोर्टल हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं को सपोर्ट करता हो तो बेहतर रहेगा।
लोकप्रिय मल्टीडोमेन SSL ब्रांड्स जो भारत में उपलब्ध हैं:
ब्रांड नाम | लोकल सपोर्ट | सरकारी अप्रूवल/कॉम्प्लायंस |
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DigiCert India | 24×7 हिंदी सपोर्ट | CCA India Approved |
Comodo/Sectigo India | हिंदी व अंग्रेजी कॉल सेंटर | कॉम्प्लायंट विद इंडियन नॉर्म्स |
Entrust Datacard India | लोकल रीसेलर नेटवर्क | गवर्नमेंट प्रोजेक्ट्स फ्रेंडली |
आखिर में, हमेशा ट्रायल या डेमो लेकर ही फाइनल खरीदारी करें ताकि कोई दिक्कत आने पर तुरंत बदलाव संभव हो सके। सही मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट आपके प्रोजेक्ट को सुरक्षित, भरोसेमंद और कानूनी रूप से सक्षम बनाता है।
5. इंस्टॉलेशन और कंफीगरेशन: भारतीय आईटी टीम्स के लिए चरण-दर-चरण गाइड
इस सेक्शन में भारतीय IT प्रोफेशनल्स के लिए मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स के इन्स्टॉलेशन और कान्फीगरेशन की विस्तृत प्रक्रिया दी जाएगी। यहाँ पर आप जानेंगे कि कैसे इंडियन एजेंसीज़ या बड़े प्रोजेक्ट्स में मल्टीडोमेन SSL को सही ढंग से लागू किया जाए।
जरूरी पूर्व तैयारी
- सभी डोमेन्स/सबडोमेन्स की सूची तैयार रखें जिन्हें सर्टिफिकेट में शामिल करना है।
- अपना वेब सर्वर (जैसे Apache, NGINX, IIS) और होस्टिंग एनवायरनमेंट की जानकारी रखें।
- CSR (Certificate Signing Request) जनरेट करने के लिए आवश्यक एक्सेस आपके पास होनी चाहिए।
स्टेप-बाय-स्टेप इंस्टॉलेशन प्रोसेस
चरण | विवरण | सुझाव / टिप्स (भारतीय संदर्भ) |
---|---|---|
1. CSR जनरेट करें | अपने सर्वर पर सभी इच्छित डोमेन्स के साथ CSR फाइल बनाएं। | Linux यूज़र्स OpenSSL टूल का इस्तेमाल करें, Windows यूज़र्स IIS Manager चुनें। |
2. सर्टिफिकेट खरीदें | मल्टीडोमेन SSL किसी भरोसेमंद CA (जैसे DigiCert, Sectigo) से खरीदें। | भारतीय कंपनियों की कस्टमर सपोर्ट देख कर ही चयन करें। |
3. डोमेन्स वेरिफिकेशन करें | Email, DNS रिकॉर्ड या HTTP file upload से डोमेन्स वेरीफाई करें। | .in डोमेन्स के लिए DNS वेरिफिकेशन सबसे आसान होता है। |
4. सर्टिफिकेट इंस्टॉल करें | प्राप्त CRT फाइल को अपने सर्वर पर अपलोड कर इंस्टॉल करें। Intermediate certificates भी लगाएँ। | Apache/NGINX के लिए फाइल पाथ ठीक से चेक करें, IIS में Import Wizard का उपयोग करें। |
5. सर्वर रीस्टार्ट करें एवं टेस्टिंग करें | वेब सर्वर रीस्टार्ट करके SSL टेस्ट टूल्स से वैलिडेशन चेक करें। | SSL Labs Test का प्रयोग करें – भारत में भी लोकप्रिय है। |
6. ऑटोमैटिक रिन्यूअल सेटअप करें (अगर संभव हो) | Cron Jobs या PowerShell Scripts से ऑटो रिन्यूअल सुनिश्चित करें। | Larger Projects के लिए जरूरी – समय रहते रिन्यूअल न होने पर वेबसाइट डाउन हो सकती है। |
भारतीय IT टीम्स के लिए अतिरिक्त टिप्स:
- लोकल लैंग्वेज सपोर्ट: अगर आपकी एजेंसी भारत के अलग-अलग राज्यों में काम करती है, तो टेक्निकल डॉक्युमेंटेशन हिंदी या अन्य लोकल भाषाओं में भी बनाएं।
- CERT India Guidelines: सरकार द्वारा जारी IT सिक्योरिटी गाइडलाइंस को जरूर देखें, खासकर सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए।
- KYC और GST बिलिंग: SSL खरीदते वक्त सही GST नंबर डालें, ताकि बिलिंग में कोई परेशानी न आए।
कॉमन एरर्स और उनके समाधान (Troubleshooting Table)
Error Code / Message | समस्या का कारण | भारतीय टीमों के लिए समाधान सुझाव |
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SNI Not Supported Error | पुराने सर्वर या ब्राउज़र SNI सपोर्ट नहीं करते | SNI सपोर्टेड वेब सर्वर वर्जन पर अपडेट करें; ग्रामीण भारत में पुराने ब्राउज़र्स का ध्यान रखें |
Chain Issues/Error in Browser | Intermediate Certificate Missing or Wrong Order | CA द्वारा दी गई सभी chain/intermediate फाइलें सही क्रम में अपलोड करें |
“Domain Mismatch” Warning | SAN लिस्ट में सभी सबडोमेन्स नहीं जोड़े गए हैं | SAN लिस्ट अपडेट कर फिर से CSR जनरेट करें |
नोट:
- MISSED SAN (Subject Alternative Name) एंट्रीज बहुत कॉमन गलती है – हमेशा अंतिम लिस्ट वेरीफाई कर लें!
इन आसान स्टेप्स और इंडियन IT प्रैक्टिसेज़ को अपनाकर आपकी टीम मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स को बिना किसी झंझट के इंस्टॉल और कंफीगर कर सकती है। हर स्टेप पर लोकल सपोर्ट चैनल्स या अपने SSL प्रदाता से सहायता लें – इससे सुरक्षा और भरोसे दोनों बढ़ेंगे।
6. प्रमुख सुरक्षा चुनौतियां और नवीनतम भारतीय सरकारी दिशानिर्देश
मल्टीडोमेन SSL सर्टिफिकेट्स का इस्तेमाल भारतीय एजेंसीज़ और बड़े प्रोजेक्ट्स में बहुत बढ़ गया है। लेकिन इसके साथ कुछ खास सुरक्षा चुनौतियां भी आती हैं। साथ ही, भारत सरकार ने हाल के सालों में डिजिटल सुरक्षा को लेकर कई नए नियम और गाइडलाइन्स जारी किए हैं। आइए जानते हैं कि मल्टीडोमेन SSL के साथ भारत में किन मुख्य सुरक्षा मुद्दों का सामना करना पड़ता है और क्या नए रेगुलेटरी दिशा-निर्देश मौजूद हैं।
मुख्य सुरक्षा चुनौतियां
सुरक्षा चुनौती | विवरण |
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सर्टिफिकेट स्पूफिंग | अगर सर्टिफिकेट को ठीक से मैनेज नहीं किया गया तो हैकर्स नकली सर्टिफिकेट बना सकते हैं। इससे यूजर डेटा खतरे में पड़ सकता है। |
केन्द्रीयकृत नियंत्रण की कमी | कई डोमेन एक साथ होने पर सभी की मॉनिटरिंग और कंट्रोल मुश्किल हो जाता है। इससे सिक्योरिटी ब्रेच का रिस्क बढ़ जाता है। |
रिन्यूअल मिसमैनेजमेंट | अगर समय पर SSL सर्टिफिकेट रिन्यू न हुआ तो सभी वेबसाइट्स डाउन हो सकती हैं, जिससे सर्विसेज बाधित होंगी। |
डोमेन वेरिफिकेशन प्रॉसेस में त्रुटियाँ | गलत डोमेन ऐड हो जाने पर अनऑथराइज्ड एक्सेस का खतरा रहता है। |
डेटा प्राइवेसी की समस्या | SSL इम्प्लीमेंटेशन गलत होने पर यूजर डेटा लीक हो सकता है, जो IT एक्ट 2000 और Data Protection Bill के तहत गंभीर अपराध है। |
भारतीय सरकारी दिशानिर्देश और रेगुलेशन
भारत सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शंस और सरकारी वेबसाइट्स की सिक्योरिटी के लिए कई जरूरी गाइडलाइन्स लागू की हैं:
- CERT-In Advisory:
CERT-In (इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) ने सरकारी एजेंसियों के लिए HTTPS अनिवार्य किया है, जिसमें SSL/TLS का उपयोग जरूरी है। मल्टीडोमेन SSL को भी इसमें शामिल किया गया है। - NIC Guidelines:
नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) ने सभी सरकारी पोर्टल्स के लिए कॉमन पॉलिसी जारी की है – जिसमें SSL सर्टिफिकेट्स का समय पर रिन्यूअल, स्ट्रॉन्ग एनक्रिप्शन (2048 बिट्स या उससे ज्यादा), और केवल अधिकृत सीए से सर्टिफिकेट लेना शामिल है। - डेटा प्रोटेक्शन बिल:
2023 में लागू हुए नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के तहत, सभी सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों को यूजर डेटा ट्रांसमिशन को सुरक्षित रखने के लिए SSL/TLS लागू करना जरूरी है। उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। - DigiLocker & UPI प्लेटफार्म्स:
इन प्लेटफार्म्स पर मल्टीडोमेन SSL के लिए खास सिक्योरिटी ऑडिट आवश्यक कर दिया गया है ताकि कोई भी पर्सनल डेटा लीक न हो सके।
आसान भाषा में क्या ध्यान रखें?
- SSL सर्टिफिकेट्स हमेशा मान्यता प्राप्त अथॉरिटी से ही लें।
- हर साल SSL की वैधता जांचें और समय रहते रिन्यू करें।
- केवल जरूरत वाले डोमेन्स ही मल्टीडोमेन SSL में ऐड करें।
- सभी डोमेन्स की निगरानी रखें और नियमित सिक्योरिटी ऑडिट करवाएँ।
- सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें – जैसे NIC और CERT-In द्वारा जारी रेगुलेशन ।