1. भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए SEO की आवश्यकता
भारत में फूड और ट्रैवल इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है। लाखों लोग हर दिन इंटरनेट पर अपने पसंदीदा खाने-पीने की जगहें, रेसिपीज़ या घूमने की डेस्टिनेशन खोजते हैं। ऐसे में अगर आपकी वेबसाइट सर्च इंजन में ऊपर नहीं आती है, तो आप कई संभावित विजिटर्स को खो सकते हैं। यही वजह है कि SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) भारतीय बाजार और स्थानीय यूज़र्स के व्यवहार के हिसाब से बेहद जरूरी हो जाता है।
भारतीय बाजार और लोकल यूज़र्स का व्यवहार
भारतीय यूज़र्स मोबाइल पर ज़्यादा सर्च करते हैं, और वे अक्सर हिंदी, तमिल, तेलुगु, बंगाली या अन्य स्थानीय भाषाओं में भी जानकारी ढूंढते हैं। इसके अलावा, भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए लोकेशन-बेस्ड सर्चेस बहुत अहम होते हैं जैसे “मुंबई में बेस्ट स्ट्रीट फूड” या “गोवा के पास फेमस बीच”। इसलिए वेबसाइट कंटेंट को लोकल भाषा, संस्कृति और क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार ऑप्टिमाइज़ करना जरूरी है।
SEO क्यों महत्वपूर्ण है?
कारण | विवरण |
---|---|
लोकल सर्चेज़ | भारत में अधिकतर लोग अपने शहर या राज्य के अनुसार चीजें सर्च करते हैं, जैसे “दिल्ली के पास वीकेंड गेटवे”। |
मोबाइल यूज़र्स | 70% से अधिक ट्रैफिक मोबाइल से आता है, इसलिए मोबाइल फ्रेंडली SEO जरूरी है। |
बहुभाषी ऑडियंस | हिंदी समेत विभिन्न भारतीय भाषाओं में कंटेंट होना चाहिए ताकि ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सके। |
रिव्यूज और रेटिंग्स | इंडियन यूज़र्स फैसले लेने से पहले रिव्यू जरूर पढ़ते हैं; इनका सही SEO बहुत जरूरी है। |
संक्षेप में:
अगर आप चाहते हैं कि आपकी फूड या ट्रैवल वेबसाइट भारत में लोकप्रिय हो, तो SEO का ध्यान रखना ही होगा। यह न सिर्फ आपकी साइट को गूगल जैसे सर्च इंजनों में ऊपर लाएगा, बल्कि आपको सही ऑडियंस तक भी पहुंचाएगा। अगली बार हम जानेंगे कि SEO टूल्स कैसे चुने जाएं जो खासतौर पर भारतीय मार्केट के लिए उपयुक्त हों।
2. लोकप्रिय भारतीय SEO टूल्स का चुनाव
भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए सही SEO टूल्स चुनना बेहद जरूरी है। भारत में कई ऐसे टूल्स हैं, जो लोकल मार्केट की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं और ये किफायती भी हैं। यहां हम कुछ प्रमुख भारतीय और इंटरनेशनल SEO टूल्स के बारे में बात करेंगे, जिनका उपयोग भारतीय कंपनियाँ सबसे ज्यादा करती हैं।
भारतीय मार्केट में लोकप्रिय SEO टूल्स
टूल का नाम | मुख्य विशेषताएँ | प्राइसिंग (INR/माह) | लोकल सपोर्ट |
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Screaming Frog | वेबसाइट ऑडिट, ब्रोकन लिंक चेकिंग, ऑन-पेज SEO एनालिसिस | फ्री/पेड (लगभग ₹12,000/वर्ष) | इंटरनेशनल सपोर्ट, हिंदी गाइड उपलब्ध |
SEMrush | कीवर्ड रिसर्च, कॉम्पिटिटर एनालिसिस, बैकलिंक मॉनिटरिंग | ₹8,000-₹12,000 | लोकल इंडियन डेटा बेस, हिंदी सपोर्ट कम |
Ahrefs | बैकलिंक चेकिंग, साइट एक्सप्लोरर, कंटेंट रिसर्च | ₹7,500+ | ग्लोबल डेटा सपोर्ट, भारतीय वेबसाइट्स के लिए अच्छा |
Ubersuggest | कीवर्ड आइडियाज, साइट ऑडिट, सस्ते प्लान्स | ₹899 से शुरू | हिंदी इंटरफेस और लोकल सपोर्ट बेहतर |
Google Search Console (GSC) | फ्री टूल, वेबसाइट परफॉरमेंस ट्रैकिंग, इंडियन यूजर्स के लिए अनुकूलित डेटा | फ्री | पूरा लोकल सपोर्ट और हिंदी गाइडेंस उपलब्ध |
Moz Pro | कीवर्ड रिसर्च, रैंक ट्रैकिंग, पेज ऑप्टिमाइजेशन टिप्स | ₹7,000+ | इंटरनेशनल सपोर्ट, इंडियन डेटा सीमित |
SERPstat (इंडियन वर्जन भी) | ऑल-इन-वन SEO प्लेटफॉर्म: बैकलिंक चेकिंग, कीवर्ड रिसर्च आदि | ₹1,800 से शुरू | लोकल डेटा इंजन अच्छा है, हिंदी सपोर्ट उपलब्ध नहीं है |
Swarajya SEO Tool (भारतीय स्टार्टअप) | कीवर्ड रिसर्च और ऑन-पेज ऑडिट खासकर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए अनुकूलित | ₹599 से शुरू | भारतीय भाषाओं में सपोर्ट और गाइडेंस मिलता है |
SEO टूल्स का चुनाव करते समय ध्यान देने योग्य बातें:
- कीवर्ड रिसर्च: ऐसा टूल चुनें जो हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में कीवर्ड सजेशन दे सके। इससे आपकी वेबसाइट लोकल ऑडियंस तक आसानी से पहुंचेगी।
- प्राइसिंग: भारतीय कंपनियों के लिए बजट महत्वपूर्ण होता है। Ubersuggest या Swarajya जैसे किफायती टूल्स छोटे व्यवसायों के लिए बेस्ट हैं।
- लोकल डेटा: SEMrush या Swarajya जैसे टूल्स भारत के लोकल सर्च ट्रेंड्स दिखाते हैं जिससे फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स को सही रणनीति बनाने में मदद मिलती है।
- User Interface: हिंदी या इंग्लिश में आसान इंटरफेस वाले टूल्स चुनें ताकि पूरी टीम आसानी से इस्तेमाल कर सके।
क्यों जरूरी है लोकल SEO टूल्स का इस्तेमाल?
भारत में फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स को अपनी ऑडियंस तक पहुंचने के लिए सिर्फ ग्लोबल नहीं बल्कि लोकल सर्च इंजन ट्रेंड्स समझना जरूरी है। इसलिए ऐसे टूल्स का चुनाव करें जो आपके बिज़नेस की भाषा और लोकेशन के अनुसार कस्टमाइज्ड डेटा दें। इससे आपकी वेबसाइट Google India पर तेजी से रैंक कर सकती है और ज्यादा ऑर्गेनिक ट्रैफिक पा सकती है।
अगले सेक्शन में हम इन टूल्स का सही उपयोग कैसे करें – उस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
3. फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स में कीवर्ड रिसर्च की सर्वोत्तम रणनीतियाँ
भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए सही कीवर्ड रिसर्च करना जरूरी है, जिससे आपकी साइट गूगल जैसे सर्च इंजन पर आसानी से दिखे। भारतीय यूज़र्स अलग-अलग भाषाओं और वरीयताओं के साथ ऑनलाइन खोज करते हैं, इसलिए आपके कंटेंट और SEO रणनीति को भी उन्हीं के अनुसार बनाना चाहिए।
भारतीय खाने और पर्यटन स्थलों के लिए कीवर्ड कैसे चुनें?
सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि लोग भारत में किस तरह के खाने या ट्रैवल डेस्टिनेशन सर्च करते हैं। उदाहरण के लिए – “बिरयानी रेसिपी”, “गोवा बीच रिज़ॉर्ट्स”, “उत्तराखंड हिल स्टेशन” आदि। ऐसे कीवर्ड्स चुनना ज़रूरी है जो स्थानीय भाषा, लोकप्रियता और सीजनल ट्रेंड्स से जुड़े हों।
कीवर्ड रिसर्च के टूल्स:
टूल का नाम | क्या फायदा? | प्राइसिंग |
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Google Keyword Planner | फ्री में बेसिक डेटा, भारतीय लोकल सर्च ट्रेंड | फ्री |
SEMrush | डिटेल्ड कॉम्पिटिटर एनालिसिस, इंडियन कीवर्ड ऑप्शंस | पेड (ट्रायल अवेलेबल) |
Ahrefs | कीवर्ड वॉल्यूम, SEO डिफिकल्टी चेक कर सकते हैं | पेड (ट्रायल अवेलेबल) |
Answer the Public | भारतीय यूज़र किस तरह सवाल पूछते हैं – वो मिल जाता है | फ्री/पेड वर्जन |
Ubersuggest | लोकलाइज्ड कीवर्ड आइडियाज, ट्रैफिक एनालिसिस | फ्री/पेड वर्जन |
यूज़र भाषा और पसंद का ध्यान कैसे रखें?
- स्थानीय भाषा: भारत में हिंदी, तमिल, बंगाली, मराठी जैसी भाषाओं में भी लोग सर्च करते हैं। अपने टार्गेट रीजन की भाषा में भी कीवर्ड रिसर्च करें। उदाहरण – “पाव भाजी रेसिपी हिंदी में”, “चेन्नई टूरिस्ट प्लेसेस तमिल” आदि।
- ट्रेंडिंग और लोकल शब्द: भारतीय फूड जैसे ‘ढाबा’, ‘स्ट्रीट फूड’, ‘हेरिटेज होटल्स’ या त्योहारों से जुड़े डेस्टिनेशन जैसे ‘होली स्पेशल ट्रैवल’ शामिल करें।
- सीज़नल सर्च ट्रेंड: उदाहरण – गर्मियों में “शिमला समर वेकेशन”, मॉनसून में “केरल मानसून टूरिज्म” आदि।
- User Intent समझें: क्या यूज़र रेसिपी ढूंढ रहा है, होटल बुक करना चाहता है या किसी जगह का इतिहास जानना चाहता है? उसी हिसाब से long-tail keywords चुनें।
उदाहरण: भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए संभावित कीवर्ड्स की लिस्ट:
कैटेगरी | कीवर्ड्स के उदाहरण |
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भारतीय व्यंजन (Indian Food) | “पंजाबी छोले रेसिपी”, “साउथ इंडियन ब्रेकफास्ट”, “बेस्ट बिरयानी इन दिल्ली” |
पर्यटन स्थल (Tourism Places) | “राजस्थान हेरिटेज होटल्स”, “गोवा बीच पार्टी”, “शिमला फैमिली ट्रिप” |
स्थानीय भाषा आधारित कीवर्ड्स (Regional Language Keywords) | “தென்னிந்திய உணவு வகைகள்” (South Indian food in Tamil), “মিষ্টি রেসিপি” (Sweet recipes in Bengali) |
महत्वपूर्ण टिप्स:
- Lokal Event & Festivals: त्योहारों, मेलों और सीजनल इवेंट से जुड़े खास कीवर्ड जोड़ें – जैसे ‘दिवाली मिठाई रेसिपीज़’, ‘पुष्कर मेला घूमने का तरीका’।
- User Reviews & Questions: गूगल पर पूछे जाने वाले सवालों को ध्यान में रखें — जैसे ‘बेस्ट स्ट्रीट फूड नियर मी’, ‘मुंबई में क्या घूमें’।
इस तरह भारतीय यूज़र की पसंद-नापसंद और उनकी सर्च आदतों को समझकर ही आप अपने फूड और ट्रैवल ब्लॉग या वेबसाइट के लिए सबसे उपयुक्त कीवर्ड्स चुन सकते हैं। इससे आपके पेजेज़ सर्च इंजन पर जल्दी रैंक करेंगे और अधिक ट्रैफिक मिलेगा।
4. लोकलाइजेशन और भारतीय रीजनल भाषाओं का महत्व
भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए लोकलाइजेशन क्यों जरूरी है?
भारत एक बहुभाषी देश है, जहाँ हर राज्य और क्षेत्र की अपनी भाषा और सांस्कृतिक पहचान है। अगर आप अपनी फूड या ट्रैवल वेबसाइट को भारत में सफल बनाना चाहते हैं, तो आपको हिंदी, तमिल, बंगाली जैसे स्थानीय भाषाओं में कंटेंट बनाना चाहिए। इससे आपकी साइट ज्यादा लोगों तक पहुँचेगी और यूज़र्स को उनकी पसंदीदा भाषा में जानकारी मिलेगी।
लोकल SEO के लिए बेस्ट प्रैक्टिसेज़
- कीवर्ड रिसर्च: हर भाषा के लिए अलग-अलग कीवर्ड रिसर्च करें। जैसे- हिंदी में “बेस्ट स्ट्रीट फूड दिल्ली”, तमिल में “சென்னை சிறந்த உணவு இடங்கள்”।
- भाषा अनुसार मेटा टैग्स: टाइटल, डिस्क्रिप्शन, हेडिंग्स आदि सभी को स्थानीय भाषा में ऑप्टिमाइज़ करें।
- hreflang टैग्स: अलग-अलग भाषाओं के पेज के लिए hreflang टैग्स का इस्तेमाल करें ताकि गूगल सही भाषा वाले यूजर को सही पेज दिखा सके।
- लोकल बिजनेस लिस्टिंग: Google My Business पर अपनी वेबसाइट को स्थानीय भाषा में लिस्ट करें।
- सांस्कृतिक तत्वों का समावेश: कंटेंट में स्थानीय त्योहार, खाना, ट्रैवल डेस्टिनेशन आदि का उल्लेख जरूर करें।
भारतीय भाषाओं के अनुसार कंटेंट अनुकूलन टेबल
भाषा | उदाहरण कीवर्ड | लोकल एलिमेंट्स |
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हिंदी | दिल्ली स्ट्रीट फूड, राजस्थान यात्रा गाइड | त्योहार, लोक व्यंजन, क्षेत्रीय स्थल |
तमिल | சென்னை உணவு வழிகாட்டி, தமிழ்நாடு பயண ஸ்பாட்கள் | स्थानीय पकवान, मंदिर यात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रम |
बंगाली | কলকাতা ফুড গাইড, সুন্দরবন ট্রাভেল টিপস | बंगाली मिठाई, दुर्गा पूजा, लोक कला |
मराठी | मुंबई स्ट्रीट फूड, महाराष्ट्र ट्रैवल स्पॉट्स | गणेशोत्सव, मराठी भोजन, किला यात्रा |
तेलुगु | హైదరాబాద్ ఫుడ్ గైడ్, ఆంధ్రా ట్రావెల్ స్పాట్స్ | स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजन, त्योहार, मंदिर यात्रा |
लोकलाइजेशन टूल्स और रिसोर्सेस का उपयोग कैसे करें?
- Google Keyword Planner: भारतीय भाषाओं में कीवर्ड खोजने के लिए प्रयोग करें।
- SEMrush या Ahrefs: मल्टी-लैंग्वेज सपोर्ट से लोकल ट्रेंड पता करें।
- Lokalise या Crowdin: वेबसाइट ट्रांसलेशन और मैनेजमेंट के लिए उपयोगी प्लेटफॉर्म हैं।
Quick Tips for Local Language SEO Success:
- User-Friendly Fonts and Layout: पढ़ने में आसान फॉन्ट चुनें और मोबाइल फ्रेंडली डिजाइन रखें।
- Cultural Relevance: हमेशा कंटेंट में स्थानीय त्योहार या खास डिशेज़ का जिक्र करें।
- User Engagement: रिव्यू सेक्शन या Q&A भी भारतीय भाषाओं में रखें ताकि यूजर ज्यादा जुड़ाव महसूस करे।
इस तरह से भारतीय रीजनल भाषाओं और लोकलाइजेशन का सही इस्तेमाल करने से आपकी फूड व ट्रैवल वेबसाइट पूरे भारत में तेजी से लोकप्रिय हो सकती है।
5. तकनीकी SEO और तेज पेज लोडिंग
भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स के लिए तकनीकी SEO और वेबसाइट स्पीड बेहद ज़रूरी हैं, क्योंकि भारत में इंटरनेट स्पीड और डिवाइस क्वालिटी अलग-अलग होती है। यदि आपकी वेबसाइट धीरे खुलती है या मोबाइल पर सही नहीं दिखती, तो यूज़र्स तुरंत दूसरी साइट पर चले जाते हैं। नीचे कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं, जो आपकी वेबसाइट को भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए बेहतर बना सकती हैं:
वेबसाइट स्पीड बढ़ाने के आसान तरीके
टिप | कैसे करें? |
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इमेज ऑप्टिमाइजेशन | WebP या JPEG फॉर्मेट का इस्तेमाल करें और इमेज साइज कम रखें। Lazy loading लगाएँ ताकि पेज जल्दी खुले। |
कैशिंग टेक्नोलॉजी | WordPress के लिए WP Super Cache या W3 Total Cache प्लगइन का उपयोग करें। इससे बार-बार एक जैसी फाइलें डाउनलोड नहीं होंगी। |
CDN (Content Delivery Network) | Cloudflare या BunnyCDN जैसी सर्विस से वेबसाइट की स्पीड पूरे भारत में बढ़ा सकते हैं। |
फॉन्ट्स और स्क्रिप्ट्स को मिनिफाई करें | CSS, JavaScript और Fonts को Minify/Compress करें, जिससे पेज तेजी से लोड हो। Autoptimize या Fast Velocity Minify प्लगइन मददगार हैं। |
मोबाइल ऑप्टिमाइजेशन की ज़रूरत क्यों?
भारत में ज्यादातर लोग मोबाइल से इंटरनेट चलाते हैं, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में। इसलिए Responsive Design बहुत जरूरी है:
- AMP (Accelerated Mobile Pages): AMP Plugin से पेज मोबाइल पर जल्दी खुलते हैं। Google Discover और News में दिखने के लिए भी अच्छा है।
- Responsive Theme चुनें: WordPress के Astra, GeneratePress जैसे थीम यूज़ करें जो हर डिवाइस पर अच्छे दिखते हैं।
- पॉप-अप्स से बचें: मोबाइल स्क्रीन छोटी होती है, इसलिये ज्यादा पॉप-अप्स न डालें वरना यूज़र परेशान होंगे।
- बटन और मेन्यू बड़े रखें: ताकि टच स्क्रीन पर आसानी से क्लिक किया जा सके।
भारतीय यूज़र्स के लिए Best Practices Summary Table
SEO & Speed Factor | Best Practice for India |
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पेज स्पीड स्कोर (90+) | Lighthouse या PageSpeed Insights से टेस्ट करें; Images/WebP/Cache इस्तेमाल करें। |
मोबाइल फ्रेंडलीनेस | Themes और Layouts responsive रखें; AMP Plugin का प्रयोग करें। |
कम डेटा खपत वाली साइट डिजाइन | Simplified Layouts, Minimum Animations & Compressed Files इस्तेमाल करें। |
लोकल CDN Integration | BunnyCDN या Cloudflare जैसे लोकल सर्वर वाले CDN लगाएं। |
याद रखें:
भारतीय इंटरनेट यूज़र्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वेबसाइट तेज़, मोबाइल फ्रेंडली और हल्की बनाएं – तभी आपकी फूड व ट्रैवल साइट Google पर ऊपर रैंक करेगी और ज़्यादा ट्रैफिक मिलेगा।
6. एनालिटिक्स और भारतीय यूज़र बिहेवियर की मॉनिटरिंग
भारतीय फूड और ट्रैवल वेबसाइट्स को सफल बनाने के लिए केवल अच्छा कंटेंट ही काफी नहीं है। यूज़र्स आपकी साइट पर कैसे आ रहे हैं, वे कौन-से पेज़ देख रहे हैं, कहां ज़्यादा समय बिता रहे हैं—इन सबका विश्लेषण जरूरी है। इसी काम के लिए Google Analytics जैसे टूल्स सबसे उपयोगी साबित होते हैं।
Google Analytics से क्या-क्या जान सकते हैं?
Analytics फीचर | भारतीय संदर्भ में महत्व |
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ट्रैफिक सोर्सेस | जानें कि यूज़र ज्यादा Facebook, WhatsApp, या Google Search से आ रहे हैं या नहीं। |
लोकप्रिय पेज़ | कौन-से रेसिपीज़, ट्रैवल गाइड्स या डेस्टिनेशन सबसे पसंद किए जा रहे हैं। |
डिवाइस रिपोर्ट | भारत में मोबाइल यूज़र्स अधिक हैं, इसलिए साइट की मोबाइल फ्रेंडलीनेस जरूरी है। |
बाउंस रेट | यूज़र कितनी जल्दी साइट छोड़ देते हैं—इससे पता चलता है कि कंटेंट कितना एंगेजिंग है। |
जियोग्राफिक डेटा | किस राज्य या शहर से सबसे ज्यादा विज़िटर आ रहे हैं, इससे लोकलाइज्ड कंटेंट बना सकते हैं। |
भारतीय यूज़र बिहेवियर को समझने की रणनीतियाँ
- रिलेटेबल कंटेंट: लोकप्रिय भारतीय त्योहारों, स्थानीय भोजन और ट्रैवल डेस्टिनेशन्स पर ध्यान दें। ऐसे टॉपिक्स जोड़ें जो भारतीय संस्कृति से जुड़े हों।
- लैंग्वेज ऑप्शन्स: हिंदी, तमिल, बंगाली जैसी भाषाओं में भी कंटेंट दें ताकि अलग-अलग क्षेत्रों के लोग आसानी से समझ सकें। Analytics से पता करें कि किस भाषा का ट्रैफिक ज्यादा है।
- मोबाइल ऑप्टिमाइजेशन: भारत में अधिकतर लोग मोबाइल से ब्राउज़ करते हैं, इसलिए वेबसाइट का मोबाइल वर्शन तेज़ और सिंपल रखें। Page Load Time को Google Analytics में ट्रैक करें और जरूरत पड़े तो इमेज कंप्रेस करें या AMP पेज़ इस्तेमाल करें।
- User Flow Analysis: यह देखना जरूरी है कि यूज़र एक पेज से दूसरे पेज पर कैसे मूव कर रहे हैं। इससे पता चलेगा कि कौन-सा CTA (Call to Action) अच्छा काम कर रहा है और कौन सा नहीं।
- A/B Testing: अलग-अलग हेडलाइन्स, बटन कलर या इमेज़ टेस्ट करें और देखें किस वेरिएशन से ज्यादा क्लिक मिलते हैं। यह डेटा भी Google Analytics में मिल सकता है।
डेटा के आधार पर सुधार कैसे करें?
- कम ट्रैफिक वाले पेज़: ऐसे पेज़ को रीडिजाइन करें या उनमें नया इंफॉर्मेशन डालें जो भारतीय ऑडियंस के लिए प्रासंगिक हो।
- हाई बाउंस रेट वाले पेज़: Content को छोटा, आकर्षक और विजुअल्स के साथ बनाएं ताकि लोग रुके रहें। वीडियो या इन्फोग्राफिक्स जोड़ना भी अच्छा रहेगा।
- User Feedback Integration: Analytics के साथ-साथ यूज़र्स से सीधे फीडबैक लें—क्या उन्हें साइट नेविगेट करने में दिक्कत हो रही है? इस जानकारी का इस्तेमाल करके वेबसाइट सुधारें।
- Local Trends पर नज़र: Google Trends और Analytics दोनों मिलाकर देखें कि अभी भारत में कौन-सी खाने की रेसिपी या ट्रैवल डेस्टिनेशन सर्च की जा रही है और उसी हिसाब से नया कंटेंट तैयार करें।
संक्षिप्त टिप्स तालिका:
करना चाहिए | नहीं करना चाहिए |
---|---|
User डेटा नियमित मॉनिटर करें | User बिहेवियर को इग्नोर न करें |
मोबाइल स्पीड बढ़ाएं | भारी इमेज या स्लो लोडिंग एलिमेंट न रखें |
लोकलाइज़्ड कंटेंट बनाएं | सिर्फ जनरल ग्लोबल टॉपिक न रखें |